How to Live Happily? - Sadhguru Answers | ख़ुशी से कैसे रहें ? - सद्गुरु उत्तर

How to Live Happily? - Sadhguru Answers | ख़ुशी से कैसे रहें ? - सद्गुरु उत्तर 

 

    Hindi:

    [प्रश्नकर्ता] गुड ईवनिंग, सर। मैंने आपका एक लेक्चर सुना है, जिसमें आपने आनंद और खुशी के बारे में बात की है। आपने बताया कि आनंद अपने ऊपर निर्भर करता है जबकि खुशी दूसरों पर निर्भर करती है। मैंने इसका अभ्यास करना चाहा लेकिन मैंने पाया कि मैं आनंद के उन क्षणों को बरकरार नहीं रख पा रहा थी। जब मैं अपने काम में पूरी तरह से मग्न हो जाती हूँ तो आनंद के उन क्षणों का अनुभव कर पाती हूँ, लेकिन जैसे ही कोई बाहरी व्यक्ति मेरे काम को पहचान या मान्यता देता है, मेरा वह आनंद कहीं गायब हो जाता है। खुशी के मोह में न पड़ते हुए, आनंद के उन क्षणों को हम अपने भीतर बरकरार कैसे रख सकते हैं? साथ ही, अगर आप हम सभी को आनंद और खुशी का अंतर समझा सकें तो बहुत अच्छा होगा। [सद्गुरु] देखिए, अगर अभी मैं आपसे कहूं... या, मैं नहीं... मान लेते हैं कि आपके कॉलेज के डीन आपसे कहते हैं कि कल से आप सभी को एक ख़ास तरह के कपड़े पहने होंगे, तो तुरंत ही कॉलेज में इसका विरोध होने लगेगा। इसके बाद अगर डीन कहें, “सारे लोग सुबह नाश्ते में केवल चार इडली ही खा सकते हैं।” अगर आपके डीन आपसे कहते हैं, “सबको सुबह पाँच बजे सो कर उठना होगा।” मान लेते हैं कि वे इस तरह के दस नियम बना देते हैं, कुछ चीज़ें जो आपको करनी होंगी, तो आपको लगेगा कि वे आपको गुलाम बनाने की कोशिश कर रहे हैं और आप अपनी आज़ादी के लिए चीख़-पुकार मचाने लगेंगे, है न? पर ज़रा अपने-आपको तो देखिए। अगर अभी कोई और यह तय करता है कि आपके आसपास क्या होना चाहिए, तो आप एक गुलाम की तरह महसूस करते हैं। लेकिन अभी कोई दूसरा यह तय कर रहा है कि आपके भीतर क्या होना चाहिए। क्या यह गुलामी नहीं है? कोई और यह तय कर सकता है कि आप खुश हैं या दुखी, क्या यह गुलामी नहीं है? कोई और तय कर सकता है कि आप एक खुशदिल इंसान बनेंगे या दुखी और उदास रहेंगे, क्या यह गुलामी नहीं है? आपके भीतर क्या हो रहा है, यह कोई दूसरा तय करता है - यह तो गुलामी का सबसे बुरा रूप है, है न? ऐसा है कि नहीं? दरअसल सारे लोग ऐसे ही हैं, इसलिए यह सामान्य लगता है, जबकि ऐसा है नहीं। यह सामान्य नहीं है। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि सारे लोग ऐसे ही हैं, यह बात सामान्य नहीं हो जाती। यह इंसान... आपके आसपास का जीवन सौ प्रतिशत वैसा नहीं होगा... वैसी कभी नहीं होगा जैसा आप चाहते हैं। और ऐसा होना भी नहीं चाहिए; क्योंकि अगर सब कुछ आपके ही तरीके़ से होने लगे, तो मैं कहाँ जाऊँगा? मुझे खु़शी है कि सब कुछ आपके अनुसार नहीं हो रहा। और, आप अभी भी स्टूडेन्ट हैं? अभी जब आप एक स्टूडेन्ट हैं... तो मेरे खयाल से इस समय साठ-सत्तर प्रतिशत आपकी मर्जी के अनुसार हो रहा है। जब आपकी शादी हो जाएगी, तो ये प्रतिशत बिल्कुल उलट जाएगा। हमें पता नहीं, हमें पता नहीं कि यह किस दिशा में जाएगा। तो आपके आसपास का जीवन पूरे सौ प्रतिशत आपकी मर्जी से नहीं होता और इसे होना भी नहीं चाहिए। हाँ, अगर आप मशीनों के साथ जी रहे हों तो ऐसा हो सकता है, पर वे भी एक दिन धोखा दे देंगी, है न? क्या हर दिन मशीनें आपको कोई न कोई मुसीबत नहीं देतीं? देती हैं। तो बाहरी परिस्थितियां सौ प्रतिशत आपके मन के मुताबिक कभी नहीं होने वालीं और अगर आपकी खुशी या आनंद, या इतने सारे शब्दों का इस्तेमाल करने के बजाय, मूल रूप से यह आपके अंदर का सुखद अनुभव या दुखद अनुभव है। सुखद अवस्था के हमारे पास कई नाम हैं, हम इसे शांति, खुशी, आनंद, परमानंद कहते हैं।


     दुखद अवस्था के हमारे पास कई नाम हैं, तनाव, उत्कंठा, डर, घबराहट, और बाकी चीज़ें, पागलपन, वगैरह। सुखद बनाम दुखद अवस्था - अगर आपकी सुखद अवस्था आपके आसपास की घटनाओं पर निर्भर है, तो आपके लिए हमेशा सुखद रहने की संभावना बहुत कम है, है ना? चीज़ों की प्रकृति ही ऐसी है कि ऐसा नहीं हो सकता। अगर आप इसके और उसके बीच दूरी पैदा कर सकें, तो ऐसा हो सकता है। कहने का अर्थ यह है कि... जब भी लोगों के जीवन में कुछ अच्छा नहीं होता तो लोगों की आदत ऊपरवाले की ओर देखने की होती है। ह्म्म? है न? पूरी दुनिया ऊपर की ओर देख रही है। ऊपर की ओर देखना... आप तो जानते हैं कि यह ग्रह गोल है? पता है आपको? ठीक है। यह ग्रह गोल है और आप उत्तरी ध्रुव पर नहीं बैठे, आप चेन्नई में हैं, ट्रॉपिकल जलवायु के बीच मौजूद हैं और यह ग्रह गोल घूम रहा है। तो अगर आप ऊपर की ओर देखते हैं, तो आप हमेशा ग़लत दिशा में ही देख रहे हैं। ऐसा ही है न? आप हमेशा ग़लत दिशा में ही देख रहे हैं, है न? हो सकता है कि किसी ग्रीनविच मीन टाइम या ज़ीरो ऑवर के दौरान, जब आपने ऊपर की ओर देखा तो शायद निशाना ठीक स्वर्ग की ओर लगा; बाकी समय तो ग़लत दिशा में ही देख रहे हैं। है कि नहीं? इस अनंत ब्रह्माण्ड में, क्या किसी को पता है कि ऊपर कहां और नीचे कहां? क्या किसी को पता है? हम्म? क्या कहीं ’This side up’ का कोई संकेत है? किसी को नहीं मालूम की ऊपर क्या है और नीचे क्या है, इन चीज़ों की बस हमनें कल्पना कर रखी है, है ना? क्या आप वास्तव में जानते हैं कि उत्तर कहां है और दक्षिण कहां? सही मायनों में, क्या आपको आपको मालूम है कि उत्तर और दक्षिण क्या है? हमने सब कुछ बस अपनी सुविधा के हिसाब से तय कर रखा है, है ना? ऐसा है कि नहीं? क्या आपको पता है कि पूर्व और पश्चिम क्या है? नहीं। क्या आपको पता है कि आगे क्या है और पीछे क्या? आपको नहीं पता। इनमें से आपको कुछ भी नहीं पता। आपको केवल एक ही बात निश्चित तौर पर जान सकते हैं - बाहर क्या है और भीतर क्या है; यह एक बात आपको पक्की पता है, है न? यह भीतर है, यह बाहर है – केवल यही बात आप अधिकार के साथ जानते हैं। बाहर की ओर क्या है, भीतर की ओर क्या है, आप बस यही जानते हैं। अगर किसी दिन आप प्रबुद्ध हो गए तो यह बोध भी चला जाएगा। जी, मेरे साथ यही तो हुआ है। अब मैं नहीं जानता कि भीतर क्या है, बाहर क्या है, मैं क्या हूँ, मैं क्या नहीं हूँ, तभी तो मैं पूरी दुनिया में घूमता फ़िरता हूं, क्योंकि मुझे नहीं पता कि यह मैं हूं या वह मैं हूं। अब आप कह सकते हैं, ‘मैं जानता हूँ कि भीतर क्या है और बाहर क्या है।’ चलिए, इसकी थोड़ी और जांच करते हैं। क्या अभी आप सभी मुझे देख सकते हैं? क्या आप मुझे देख सकते हैं? ज़रा मेरी ओर संकेत कीजिए। अपने हाथों से मेरी ओर संकेत कीजिए। क्या आप मुझे देख सकते हैं? नहीं, आप का संकेत ग़लत था। आप जानते हैं ना कि मैं एक रहस्यदर्शी हूँ? आप मामले को समझ नहीं पा रहे। अब मुझ पर यह प्रकाश पड़ रहा है, यह प्रतिबिंबित हो कर, आपके लेंस में जा कर, रेटीना पर उल्टा चित्र बना रहा है – आपको ये सब पता है ना? अब आप मुझे कहाँ देखते हैं? अपने भीतर। आप मुझे कहाँ सुनते हैं? अपने भीतर। आपनें सारे संसार को कहाँ देखा है? अपने भीतर। क्या आपने खुद के बाहर कभी भी किसी चीज़ का अनुभव किया है? आपके साथ जो कुछ भी हुआ है – अंधेरा और प्रकाश आपके भीतर हुए हैं, दुख और सुख आपके भीतर हुए हैं, आनंद और पीड़ा आपके भीतर हुए हैं। क्या आपने कभी भी अपने बाहर किसी चीज़ को महसूस किया है? नहीं। तो मैं आपसे पूछ रहा हूँ कि जो कुछ आपके भीतर हो रहा है, यह किसे तय करना चाहिए कि वह कैसा हो? ह्म्म? जो कुछ आपके भीतर हो रहा है, यह किसे तय करना चाहिए कि वह कैसा हो? किसी और को? निश्चित रूप से आपको ही तय करना चाहिए कि आपके भीतर क्या हो रहा है, है न? तो, अगर आप खुद तय करेंगे कि आपके भीतर क्या घटे, तो आपके पूरे जीवन का अनुभव आपके अनुसार तय होगा, इसे आपके सिवा कोई दूसरा तय नहीं कर सकेगा, है न? हो सकता है कि आप अपने आसपास की घटनाओं को खुद न तय कर सकें, पर इस ग्रह पर जीवन का आपका अनुभव पूरे सौ प्रतिशत आपके द्वारा ही तय होगा, बस आपको इसकी बागडोर अपने हाथ में लेनी होगी। अगर आपने इसे ढीला छोड़ दिया तो इसे कोई दूसरा तय करने लगेगा। वे भी जान-बूझ कर ऐसा नहीं करेंगे, वे अनजाने में ही ऐसा करने लगेंगे क्योंकि वे भी आपकी तरह ही बेहोशी में जी रहे हैं। 

    Bengali:

    [প্রশ্নকারী] শুভ সন্ধ্যা, স্যার আমি এমন এক বক্তৃতা শুনেছি যা আপনি সুখ এবং সুখ নিয়ে কথা বলেছেন। আপনি বলেন যে আনন্দ তার উপর নির্ভর করে যখন সুখ অন্যদের উপর নির্ভর করে। আমি এটা অনুশীলন করতে চেয়েছিলাম কিন্তু আমি দেখেছি যে আমি সুখের মুহূর্তগুলি ধরে রাখতে পারিনি। আমি যখন আমার কাজের মধ্যে সম্পূর্ণরূপে অবিলম্বে আছি, তখন আমি সুখের মুহূর্তগুলি উপভোগ করতে পারি, কিন্তু যত তাড়াতাড়ি একটি বহিরাগতদের শনাক্ত করা বা স্বীকৃতি দেয়, আমার আনন্দ কোথাও অদৃশ্য হয়ে যায়। সুখের প্রলোভনে পতিত হবেন না, কীভাবে আমরা আমাদের মধ্যে সুখের মুহূর্তগুলো রাখতে পারি? এছাড়াও, আপনি যদি সুখ এবং সুখের মধ্যে পার্থক্যটি ব্যাখ্যা করতে পারেন তবে এটি দুর্দান্ত হবে। [সাধুগুুরু] দেখুন, যদি আমি আপনাকে বলি ... অথবা, আমি বিশ্বাস করি না যে আপনার কলেজ ডিন আপনাকে বলে যে আপনি সমস্ত একটি বিশেষ জামাকাপড় পরেন, তারপর কলেজে অবিলম্বে এটি বিরোধিতা শুরু হবে। এর পর, যদি ডিন বলে, "সব মানুষ ব্রেকফাস্টে মাত্র চারটি আইডলি খেতে পারে।" যদি আপনার ডিন আপনাকে বলে, "সবাই সকালে পাঁচটা বাজে ঘুমাতে হবে।" আমি মনে করি তারা এইরকম দশটি নিয়ম করে তোলে, এমন কিছু জিনিস যা আপনাকে করতে হবে, আপনি মনে করেন যে তারা আপনাকে দাস করার চেষ্টা করছে এবং আপনি আপনার স্বাধীনতার জন্য চিৎকার শুরু করবেন, তাই না? কিন্তু নিজেকে দেখুন। যদি অন্য কেউ আপনার চারপাশে কি করতে সিদ্ধান্ত দেয়, তাহলে আপনি একটি দাস মত মনে হয়। কিন্তু এখন অন্য কেউ আপনার মধ্যে কি করা উচিত তা নির্ধারণ করা হয়। এটা কি দাসত্ব না? অন্য কেউ সিদ্ধান্ত নিতে পারে যে আপনি সুখী বা অসুখী, এটি দাসত্ব নয়? কেউ কেউ সিদ্ধান্ত নিতে পারে যে আপনি একজন সুখী ব্যক্তি হবেন নাকি অসুখী এবং দু: খিত, এটি দাসত্ব নয়? আপনার মধ্যে কি ঘটছে, এটি অন্য সিদ্ধান্ত নেয় - এটি দাসত্বের সবচেয়ে খারাপ রূপ, তাই না? এটা কি না? প্রকৃতপক্ষে সব মানুষ এই মত, তাই এটা স্বাভাবিক মনে হয়, যখন এটি তাই না। এই স্বাভাবিক নয়। শুধু কারণ সব মানুষ এই মত, এই স্বাভাবিক নয়। এই মানুষ আপনার জীবনের একশত শতাংশের মতো হবে না ... আপনি যা চান তা কখনোই ঘটবে না। এবং এটা করা উচিত নয়; কারণ যদি সবকিছু আপনার নিজের পথে ঘটতে শুরু করে তবে আমি কোথায় যাব? আমি দুঃখিত যে সবকিছু আপনার অনুযায়ী ঘটছে না। এবং, তুমি কি এখনও ছাত্রছো? এই মুহূর্তে আপনি যখন একজন ছাত্র হন ... তাই আমি মনে করি আপনার ইচ্ছা অনুযায়ী ষাটটি সত্তর শতাংশ ঘটছে। যখন আপনি বিয়ে করেন, এই শতাংশ বিপরীত হবে। আমরা জানি না, আমরা জানি না এটা কি দিক হবে। তাই আপনার পার্শ্ববর্তী জীবন পূর্ণ শত শতাংশ না এবং এটি করা উচিত নয়। হ্যাঁ, যদি আপনি মেশিনের সাথে বসবাস করেন তবে এটি ঘটতে পারে, কিন্তু তারা একদিন প্রতারণা করবে, তাই না? আপনি প্রতিদিন কোন সমস্যা দিতে না? দিতে তাই আপনার মনের অনুসারে বহিরাগত পরিস্থিতিতে শত শত শতাংশ ছিল না এবং যদি আপনার সুখ বা সুখ, বা অনেকগুলি শব্দ ব্যবহার করার পরিবর্তে, মূলত এটি আপনার ভিতরে একটি সুন্দর অভিজ্ঞতা বা দুঃখজনক অভিজ্ঞতা। আমাদের আনন্দদায়ক পর্যায়ে অনেক নাম আছে, আমরা এটি শান্তি, সুখ, সুখ, আনন্দে কল করি।


    আমাদের দুঃখজনক অবস্থা, স্ট্রেস, উত্তেজনা, ভয়, নার্ভাসনেস এবং অন্যান্য বিষয়, পাগলামি ইত্যাদির অনেক নাম রয়েছে মনোরম বনাম দুঃখজনক অবস্থা - যদি আপনার সুখী রাষ্ট্রটি আপনার চারপাশের ঘটনার উপর নির্ভর করে, তবে আপনার সর্বদা আনন্দদায়ক হওয়ার খুব কম সম্ভাবনা আছে, তাই না? জিনিসের প্রকৃতি এমন যে এটি হতে পারে না। আপনি যদি এই এবং এটির মধ্যে একটি দূরত্ব তৈরি করতে পারেন, তবে এটি ঘটতে পারে। এর অর্থ হ'ল ... যখনই মানুষের জীবনে ভাল কিছু হয় না, তখন upর্ধ্বমুখী হওয়া মানুষের অভ্যাস। হুঁ? তাই না? পুরো পৃথিবী উপরের দিকে তাকিয়ে আছে। খোঁজ ... আপনি জানেন যে এই গ্রহটি গোলাকার? তুমি জান? ঠিক আছে. এই গ্রহটি গোলাকার এবং আপনি উত্তর মেরুতে বসেছেন না, আপনি চেন্নাইতে রয়েছেন, ক্রান্তীয় জলবায়ুর মাঝে বিদ্যমান এবং এই গ্রহটি ঘুরছে round সুতরাং আপনি যদি উপরের দিকে তাকান তবে আপনি সর্বদা ভুল দিকে তাকাচ্ছেন। এটা কি এমন? আপনি সবসময় ভুল দিকে তাকাচ্ছেন, তাই না? গ্রীনউইচ গড় সময় বা জিরো আওয়ারের সময় আপনি যখন তাকালেন তখন আপনি সম্ভবত স্বর্গের দিকে লক্ষ্য রেখেছিলেন; বাকি সময়গুলি কেবলমাত্র ভুল দিকে তাকিয়ে থাকে। এটা নাকি? এই অনন্ত মহাবিশ্বে, কেউ কি জানেন যে উপরে এবং নীচে কোথায়? কেউ কি জানে হুঁ? কোথাও কোথাও 'এই সাইড আপ' এর চিহ্ন রয়েছে? উপরে কী এবং নীচে কী তা কেউ জানে না, আমরা কেবল এই বিষয়গুলি কল্পনা করেছি, তাই না? আপনি কি জানেন যে উত্তরটি কোথায় এবং দক্ষিণ কোথায়? সত্যিকার অর্থে, আপনি কি জানেন উত্তর এবং দক্ষিণ কি? আমরা আমাদের সুবিধার্থে সবকিছু ঠিক করে রেখেছি, তাই না? এটা কি এমন নয়? আপনি কি জানেন পূর্ব এবং পশ্চিম কী? না আপনি কি জানেন কি সামনে এবং পিছনে কি? তুমি জানো না. এর মধ্যে আপনি কিছুই জানেন না। আপনি নিশ্চিতভাবে কেবল একটি জিনিস জানতে পারবেন - বাইরে কী এবং ভিতরে যা রয়েছে; এটি নিশ্চিতভাবেই আপনি জানেন এমন একটি জিনিস? এটি এর মধ্যে রয়েছে, এটি বাইরে is একমাত্র আপনি কর্তৃত্বের সাথে জানেন। বাহিরে কী আছে, ভিতরে কী আছে, এটাই আপনি জানেন। যদি কোনও দিন আপনি আলোকিত হন, তবে এই উপলব্ধিটিও দূরে যাবে। হ্যাঁ, আমার সাথে এটি ঘটেছিল। আমি জানি না ভিতরে কী আছে, বাইরে কী আছে, আমি কী, আমি কী নই, সেই কারণেই আমি পুরো বিশ্বজুড়ে ঘোরাঘুরি করি, কারণ এটি আমার বা আমি কী তা আমি জানি না। এখন আপনি বলতে পারেন, "আমি ভিতরে এবং কী বাইরে তা জানি" "এর আরও কিছুটা পরীক্ষা করা যাক। আপনারা কি এখন আমাকে দেখতে পাচ্ছেন? তুমি কি আমাকে দেখতে পাচ্ছ শুধু আমাকে ইশারা করুন। আমাকে আপনার হাত দিয়ে ইশারা করুন। তুমি কি আমাকে দেখতে পাচ্ছ না, আপনার সিগন্যালটি ভুল ছিল। তুমি কি জান যে আমি এক মরমী? আপনি মামলা বুঝতে পারবেন না। এখন আমি এই আলো পেয়ে যাচ্ছি, এটি প্রতিফলিত হচ্ছে, আপনার লেন্সে ,ুকছে, রেটিনার উপরের দিকে আঁকছে - আপনি সব জানেন, তাই না? তুমি এখন আমাকে কোথায় দেখতে পাচ্ছ? নিজের মধ্যে. তুমি কোথায় শুনো আমার কথা? নিজের মধ্যে. আপনি কোথায় পুরো বিশ্ব দেখেছেন? নিজের মধ্যে. আপনি কি কখনও নিজের বাইরে কিছু অভিজ্ঞতা আছে? আপনার সাথে যা কিছু ঘটেছিল - অন্ধকার এবং আলো আপনার মধ্যে ঘটেছে, দুঃখ এবং সুখ আপনার মধ্যে ঘটেছে, আপনার মধ্যে আনন্দ এবং দুর্ভোগ ঘটেছে। আপনি কি কখনও নিজের বাইরে কিছু অনুভব করেছেন? না সুতরাং আমি আপনাকে জিজ্ঞাসা করছি, আপনার মধ্যে যা ঘটছে তা কার সিদ্ধান্ত নেওয়া উচিত? হুঁ? আপনার মধ্যে যা ঘটছে তা কার সিদ্ধান্ত নেওয়া উচিত? অন্য কারো কাছে? অবশ্যই আপনার সিদ্ধান্ত নেওয়া উচিত যে আপনার মধ্যে কী ঘটছে, তাই না? সুতরাং, যদি আপনি নিজেরাই স্থির করেন যে আপনার মধ্যে কী ঘটবে, তবে আপনার পুরো জীবন অভিজ্ঞতা আপনার মতে সিদ্ধান্ত নেওয়া হবে, আপনি ছাড়া কেউই এটি সিদ্ধান্ত নিতে পারবেন না, তাই না? আপনি নিজের চারপাশের ইভেন্টগুলি নিজেরাই সিদ্ধান্ত নিতে সক্ষম নাও হতে পারেন, তবে এই গ্রহে আপনার জীবনের অভিজ্ঞতা আপনি শতভাগ সিদ্ধান্ত নেবেন, কেবল আপনাকে এর লাগাম নিতে হবে। যদি আপনি এটিকে ছেড়ে দেন, তবে এটি অন্য কারও দ্বারা স্থির করা হবে। তারা এটি উদ্দেশ্য করেও করবে না, তারা অজান্তেই এটি করা শুরু করবে কারণ তারাও ঠিক আপনার মতোই অজ্ঞানতায় বাস করছে।

    Marathi:

    [प्रश्नकर्ता] शुभ संध्याकाळ, सर मी एक व्याख्यान ऐकला आहे ज्यामध्ये आपण आनंद आणि आनंद बद्दल बोलले आहे. आपण सांगितले की आनंद तिच्यावर अवलंबून असतो आणि आनंद इतरांवर अवलंबून असतो. मला त्याचा अभ्यास करायचा होता पण मला आढळून आले की मी त्या क्षणी त्या क्षणी टिकवून ठेवू शकत नाही. जेव्हा मी माझ्या कामात पूर्णपणे ताबडतोब असतो तेव्हा मला आनंदाच्या क्षणांचा अनुभव येतो, परंतु बाहेरच्या वेळी माझे काम ओळखले किंवा ओळखले जाते तेव्हा माझे आनंद कुठेतरी नाहीसे होते. आनंदाच्या मोहात पडू नका, आपण आपल्या आत आनंदाचे क्षण कसे ठेवू शकतो? तसेच, जर आपण आनंद आणि आनंद यांच्यातील फरक स्पष्ट करू शकत असाल तर ते चांगले होईल. [सद्गुरु] पहा, जर मी तुम्हाला सांगतो ... किंवा, माझा महाविद्यालयीन डीन आपल्याला सांगत नाही की आपण सर्वजण खास कपडे घालतील, तर मग कॉलेजमध्ये त्वरित विरोध होईल. यानंतर, डीन म्हणतो, "सर्व लोक नाश्त्यात फक्त चार इडली खाऊ शकतात." जर तुमचा डीन तुम्हाला म्हणाला, "प्रत्येकास सकाळी पाच वाजता झोपावे लागते." मी असे मानतो की ते अशा दहा नियम करतात, आपल्याला काही गोष्टी कराव्या लागतील, त्यांना वाटेल की ते आपल्याला गुलाम बनवण्याचा प्रयत्न करीत आहेत आणि आपण आपल्या स्वातंत्र्यासाठी चिडून सुरुवात कराल, बरोबर? पण स्वत: ला पहा. जर कोणी आपल्या सभोवतालच्या गोष्टींचा निर्णय घेतो तर आपल्याला गुलाम वाटते. परंतु आता इतर कोणीही आपल्यामध्ये काय असावे हे ठरवित आहे. तो गुलामगिरीत नाही? आपण आनंदी किंवा दुःखी आहात हे कोणीतरी ठरवू शकता, तो गुलामगिरीत नाही का? कोणीतरी निर्णय घेऊ शकता की आपण आनंदी व्यक्ती व्हाल किंवा दुःखी आणि दुःखी आहात, ते गुलाम नाही का? तुमच्यामध्ये काय घडत आहे, तो दुसर्या निर्णय घेतो - तो गुलामगिरीचा सर्वात वाईट प्रकार आहे का? नाही का? प्रत्यक्षात सर्व लोक यासारखे आहेत, म्हणून ते सामान्य दिसते, तसे नाही. हे सामान्य नाही. फक्त सर्व लोक यासारखे आहेत कारण हे सामान्य नाही. हे मानव आपल्या आयुष्यातील शंभर टक्के सारखे नसतील ... आपल्याला पाहिजे तसे कधीही होणार नाही. आणि ते केले जाऊ नये; कारण जर आपल्या स्वत: च्या मार्गाने सर्व काही सुरू झाले तर मग मी कुठे जाईन? मला माफ करा की सर्वकाही तुमच्या त्यानुसार होत नाही. आणि, तू अजूनही विद्यार्थी आहेस का? सध्या जेव्हा आपण विद्यार्थी असता तेव्हा मला वाटते की आपल्या इच्छेनुसार साठ-सत्तर टक्क्यांनी वाढ होत आहे. जेव्हा आपण लग्न करता तेव्हा ही टक्केवारी उलटली जाईल. आम्हाला माहित नाही, आम्हाला काय मार्गडेल हे आम्हाला ठाऊक नाही. म्हणून आपले आसपासचे आयुष्य पूर्ण शतक नाही आणि ते केले जाऊ नये. होय, जर तुम्ही मशीनसह रहात असाल तर ते होऊ शकते, परंतु ते एक दिवस फसवणूक करतील, नाही का? आपण दररोज कोणत्याही समस्या देत नाही? द्या म्हणूनच बाह्य परिस्थिती कधीही आपल्या मनाच्या अनुसार शतक नव्हती आणि जर आपले आनंद किंवा आनंद किंवा बर्याच शब्दांचा वापर करण्याऐवजी, मूलतः ते आपल्यामध्ये एक सुखद अनुभव किंवा दुःखद अनुभव आहे. आमच्याकडे सुखद अवस्थेची अनेक नावे आहेत, आम्ही त्याला शांती, आनंद, आनंद, एक्स्टसी म्हणतो.


    आपल्याकडे दुःखी स्थिती, तणाव, उत्साह, भीती, चिंताग्रस्तपणा आणि इतर गोष्टी, वेडेपणा इत्यादींसाठी बरीच नावे आहेत. सुखद वि. दु: खी राज्य - जर तुमची आनंदी अवस्था तुमच्या सभोवतालच्या घटनांवर अवलंबून असेल तर तुमच्या नेहमीच आनंददायी राहण्याची शक्यता कमीच आहे, बरोबर? गोष्टींचे स्वरूप असे आहे की ते घडू शकत नाही. जर आपण या आणि त्या दरम्यान अंतर तयार करू शकत असाल तर हे घडू शकते. असे म्हणायचे म्हणजे… जेव्हा जेव्हा लोकांच्या जीवनात काही चांगले नसते तेव्हा वरच्या दिशेने पाहण्याची सवय लोकांची असते. हम्म? नाही का? संपूर्ण जग वरच्या बाजूस पहात आहे. शोधत आहे ... आपल्याला माहित आहे की हा ग्रह गोल आहे? तुला माहित आहे का? ठीक आहे. हा ग्रह गोलाकार आहे आणि आपण उत्तर ध्रुवावर बसलेले नाही, आपण चेन्नईमध्ये आहात, उष्णकटिबंधीय हवामानाच्या दरम्यान अस्तित्वात आहे आणि हा ग्रह गोल फिरत आहे. जर आपण वरच्या बाजूस पाहिले तर आपण नेहमीच चुकीच्या दिशेने पहात आहात. हे असं आहे का? आपण नेहमी चुकीच्या दिशेने पहात आहात, बरोबर? कदाचित एखादे ग्रीनविच मीन टाइम किंवा शून्य तास दरम्यान, जेव्हा आपण वर पाहिले तर कदाचित आपल्या दिशेने स्वर्गात जावे लागेल; उर्वरित वेळ केवळ चुकीच्या दिशेने पहात आहे. आहे की नाही? या अनंत विश्वामध्ये कोणास ठाऊक आहे की कोठे वर आणि खाली कोठे आहे? कोणाला माहित आहे का? हम्म? कुठेतरी 'या बाजूचे' चिन्ह आहे का? वरील काय आहे आणि खाली काय आहे हे कोणालाही माहिती नाही, आपण या गोष्टींची फक्त कल्पना केली आहे, बरोबर? उत्तर कोठे आहे आणि दक्षिणेकडील कोठे आहे हे आपल्याला खरोखर माहित आहे काय? खर्‍या अर्थाने उत्तर आणि दक्षिण काय आहे हे आपल्याला माहिती आहे काय? आम्ही आमच्या सोयीनुसार सर्वकाही निश्चित केले आहे ना? हे असं नाही का? पूर्व आणि पश्चिम काय आहे हे आपल्याला माहिती आहे काय? नाही आपल्याला माहिती आहे काय पुढे आणि मागे काय आहे? तुला माहित नाही. यापैकी, आपल्याला काहीही माहित नाही. आपल्याला निश्चितपणे फक्त एक गोष्ट माहित असू शकते - बाहेरील आणि आत काय आहे; तुम्हाला खात्रीने माहित असलेली ही एक गोष्ट आहे, बरोबर? ते आत आहे, ते बाहेर आहे - केवळ अधिकारासह आपल्याला माहित आहे. बाहेरील काय आहे, आत काय आहे, हे आपल्याला माहिती आहे. जर एखाद्या दिवशी आपण प्रबुद्ध झालात तर ही अनुभूती देखील नाहीशी होईल. होय, हे माझ्या बाबतीत घडले आहे. आत काय आहे हे मला माहित नाही, बाहेर काय आहे, मी काय आहे, मी नाही काय आहे, म्हणूनच मी संपूर्ण जगात फिरत आहे, कारण मला माहित नाही की मी आहे की मी आहे. आता आपण म्हणू शकता की "मला आत काय आहे आणि काय बाहेरील आहे हे मला माहित आहे." चला जरा अजून परीक्षण करूया. आपण सर्व आता मला पाहू शकता? आपण मला पाहू शकता? फक्त मला दाखवा. तुझ्या हातांनी मला दाखव. आपण मला पाहू शकता? नाही, आपले सिग्नल चुकीचे होते. तुला माहिती आहे की मी एक रहस्यमय आहे? तुम्हाला प्रकरण समजत नाही. आता मला हा प्रकाश प्राप्त होत आहे, हे प्रतिबिंबित होत आहे, आपल्या लेन्समध्ये जात आहे आणि डोळयातील पडदा वर उलथून टाकत आहे - आपल्याला हे सर्व माहित आहे, बरोबर? तू आता मला कुठे पाहतोस? स्वत: मध्ये तू माझे ऐकतोस कुठे? स्वत: मध्ये आपण संपूर्ण जग कोठे पाहिले आहे? स्वत: मध्ये आपण कधीही स्वत: बाहेरील काहीही अनुभवले आहे? आपल्या बाबतीत जे काही घडले आहे - अंधारा आणि प्रकाश तुमच्यात घडला आहे, तुमच्यामध्ये दुःख आणि आनंद झाला आहे, आनंद आणि दु: ख तुमच्यामध्ये घडले आहे. आपण कधीही स्वत: बाहेरील काही अनुभवले आहे? नाही तर मी तुम्हाला विचारत आहे, तुमच्यामध्ये काय होत आहे हे कोणाला ठरवावे? हम्म? तुमच्यामध्ये काय होत आहे हे कोणाला ठरवायचे आहे? दुसर्‍या कोणाला? तुमच्यात काय घडत आहे हे निश्चितच तुम्ही ठरवावे, बरोबर? तर मग, आपण स्वतःच ठरवाल की तुमच्यामध्ये काय घडेल, तर तुमच्या संपूर्ण आयुष्याचा अनुभव तुमच्यानुसार निर्णय घेतला जाईल, तुमच्याशिवाय कोणीही हे ठरवू शकत नाही, बरोबर? आपण आपल्या आजूबाजूच्या घडामोडी आपण स्वतःच ठरवू शकणार नाही, परंतु या ग्रहावरील आपल्या जीवनाचा अनुभव आपण 100 टक्के निश्चित कराल, फक्त आपल्याला त्याचा अंतःकरण घ्यावा लागेल. आपण ते सोडल्यास, ते दुसर्‍याकडून निश्चित केले जाईल. ते उद्दीष्टाने ते करणार नाहीत, ते अनवधानाने करणे सुरू करतील कारण तेही तुमच्याप्रमाणेच बेशुद्धीने जगत आहेत.
    THANK YOU!