What Decides Our Success? - Sadhguru | क्या तय करता है, हमारी सफलता? - सद्गुरु
What Decides Our Success? - By Sadhguru
Hindi:
[प्रश्नकर्ता] गुरुजी, अगर हम अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो किसकी भूमिका अहम है - आस्था, ईश्वर, प्रयत्न या भाग्य? [सद्गुरु] या चुनाव जीतना? [प्रश्नकर्ता] अगर हम चुनाव में जीतना चाहते हैं तो वहाँ भी भाग्य बहुत अहमियत रखता है। [सद्गुरु] आस्था, ईश्वर, भाग्य या प्रयत्न। शायद इन सबकी ज़रूरत हो। पर किस अनुपात में? जब आप भाग्य का नाम लेते हैं, तो निश्चित रूप से यह आपके बस में नहीं है। जब आप किस्मत की बात करते हैं तो भी आप कुछ नहीं कर सकते। जब आप ईश्वर की बात करते हैं, तो उसके बारे में भी आप कुछ नहीं कर सकते। बस आपके हाथों में एक प्रयत्न ही रह जाता है। तो आपना पूरा सौर प्रतिशत अपने प्रयत्न पर लगा दीजिए, जो होगा वो होगा, है न? तो अपनी ऊर्जा व क्षमता के कुछ हिस्सों को भाग्य, ईश्वर या आस्था वगैरह के नाम न छोड़ें; यह सब आपका काम नहीं है। अगर ऐसी कोई चीज़ है तो वह अपनी तरह से काम करेगी। आपको आपने काम से काम रखना है। बस उसे ही करें। आपकी कोशिश प्रभावशाली होनी चाहिए, यानी की वो केंद्रित और नपी तुली होनी चाहिए। बस यूं ही प्रयास करते रहना मूर्खता है, है ना? सिर्फ़ मेहनत करने से आपको कुछ हासिल नहीं होने वाला। उचित कार्य, उचित समय और उचित स्थान; यह सब अहमियत रखते हैं, है ना? तो इन सब बातों को पूरा करने के लिए आपको बोध और समझदारी चाहिए। तो आपको बस अपने जीवन में इतना ही करना है अपने जीवन में लगातार अपने बोध और बुद्धिमता में निखार लाने के साधन तलाशते रहें; बाकी सब तो किसी न किसी तरह घट ही जाएगा। यही एक चीज़ है, जिसकी ओर मानवता ध्यान नहीं दे रही। वे कुछ न कुछ बनने की क्षमता पाने का प्रयत्न कर रहे हैं। आप कोई खास योग्यता हासिल करने की कोशिश न करें, बस अपने बोध और बुद्धिमता को बढ़ाएं। फिर जीवन में जो कुछ भी होगा... अभी, मान लीजिए... आपको तो पता होगा, दुनिया में यह हमेशा होते रहता है। हर कोई डॉक्टर बनना चाहता है। आजकल नहीं, लेकिन करीब २५ साल पहले ऐसा ही हुआ करता था। पढ़ाई के नाम पर सबसे आगे डॉक्टरी का ही विकल्प आता था। अगर इसके लिए सीट न मिले, तो इसके बाद क्या? इंजीनियरिंग। वहाँ भी सीट न मिले, तो क्या? अगला ऑप्शन, फिर अगला ऑप्शन... मान लेते हैं कि आप डॉक्टर बन गए और सारे लोगों ने योग कार्यक्रम जॉईन कर लिए और डॉक्टर के पास जाना ही छोड़ दिया। कम से कम आप लोगों का डॉक्टर के पास जाना कम हो गया है, है न? हुआ है? डॉक्टर के पास जाना कम हुआ है या नहीं? निश्चित रूप से कम हुआ है। तो धंधा नहीं चलेगा। ये पैसा कमाने के लिए एक अच्छा बिज़नेस नहीं होगा, क्योंकि ऐसे बहुत कम डॉक्टर हैं जो वास्तव में डॉक्टर बनना चाहते थे। बाकी लोग सिर्फ़ पैसा कमाने के लिए डॉक्टर बनते हैं, है ना? ऐसा ही है ना? अधिकतर लोग डॉक्टरी का पेशा इसलिए अपना रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि किसी दूसरे की बीमारी उनके लिए मुनाफे का धंधा हो सकता है।
मैं इस बात के दूसरे पहलुओं को नहीं छूना चाहता, लेकिन इससे मुझे परेशानी होती है। कुछ लोग सही मायनों में डॉक्टर बनना चाहते हैं, वे मनुष्य के तंत्र को समझ कर, उस दिशा में सेवा का कार्य करना चाहते हैं, यह बहुत अच्छी बात है। मान लेते हैं कि सभी स्वस्थ हो जाएँ – आप नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो, है ना? हां। आप नहीं चाहेंगे कि ऐसा हो। सफल होने की कोई तय रेसेपी नहीं होती। सफलता वही है, जब आप अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग कर पाते हैं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि आप डॉक्टर बनते हैं या नेता या योगी या कुछ और। सफलता का अर्थ है कि आप जीवन को अपनी पूरी क्षमता के साथ जी रहे हैं, वही सफलता है। यदि ऐसा होना चाहिए तो आपको बोध के साथ एक सक्रिय बुद्धि की ज़रूरत होगी। ‘मैं अपनी बुद्धी कैसे बढ़ाऊं?’ इस बारे में चिंता न करें। इस समय तो आपको अपने बोध में निखार लाना है। अगर आपने जीवन को जैसा वो है वैसा ही देखना सीख लिया, तो आपके पास इसे चलाने योग्य बुद्धि अपने-आप ही आ जाएगी। अगर आप जीवन को उसके असली रूप में नहीं देख सके, तो आपकी बुद्धि आपके खि़लाफ चलेगी। इस ग्रह के अधिकतर अक्लमंद लोग सबसे ज़्यादा दुखी लोगों में से रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योकि उनके पास सक्रिय बुद्धि तो है, लेकिन वो जीवन को ठीक से देख नहीं पाते। तो, एक बात, एक अहम बात, जिस पर लोगों ने काम नहीं किया, उन्हें अपने बोध में निखार लाना है। वे अपने मन का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं यह इतना अहमियत नहीं रखता; वे भले ही सामाजिक रूप से सफल हो जाएँ पर उन्हें सही मायनों में सफल नहीं कहा जा सकता। सही मायनों में सफल होना चाहें तो आपको हर चीज़ को उसी रूप में देखना होगा, जैसी वह है, बिना किसी विकृती के। अगर आप हर चीज़ को उसके असली रूप में देखना सीख गए तो जीवन एक खेल हो जाएगा, तब आप इसे पूरे आनंद के साथ और अच्छे से खेल सकेंगे। अगर आप इसे अच्छी तरह खेल सके, तो लोग आपको सफल जानेंगे। आपको यह नहीं सोचना चाहिए, ‘मैं सफल होना चाहता हूँ।’ यह कभी न सोचें कि, ‘मैं सफल होना चाहता हूँ।’ बस इतना देखिए कि कैसे आप खुद को एक पूर्ण-विकसित इंसान बना सकते हैं। एक दिन लोग कहेंगे, ‘वह एक सफल आदमी है, वह बहुत सफल रहा।’ अगर आप सफलता के पीछे भागे, तो यह सोच आपके जीवन को दुखों से भर देगी। आप अपने और दूसरों के लिए स्वयं ही कष्ट और दुखों के बीज बो देंगे क्योंकि आपके लिए तो सफलता का अर्थ ही यही है कि आप किसी और के सिर पर सवार हो जाएँ, है ना? है कि नहीं? आपको लगता है कि जब सब आपसे नीचे होंगे, और आप सबसे ऊपर तभी आप खुद को सफल मानेंगे। यह सफलता नहीं, यह एक बीमारी है। सफलता के बारे में कभी न सोचें। बस यह देखें कि कैसे खुद को एक संपूर्ण इंसान बनाया जाए; फिर खुद ही आपका अस्तित्व आकार लेने लगेगा। अगर इसने अच्छी तरह आकार लिया, तो आपके आसपास के लोग कहेंगे, ‘यह व्यक्ति सही मायनों में सफल रहा!’ यह अच्छी बात होगी। लोग आपकी सफलता को पहचानें। आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि मुझे सफल होने के लिए क्या करना है; अगर आप ऐसा करते हैं, तो यह पहल जीवन के लिए ठीक नहीं होगी।
Bengali:
[প্রশ্নকারী] গুরুজি, আমরা যদি আমাদের জীবনে সফল হতে চাই, তবে কার ভূমিকা গুরুত্বপূর্ণ - বিশ্বাস, ,শ্বর, প্রচেষ্টা বা ভাগ্য? [সদ্ধগুরু] নাকি নির্বাচনে বিজয়ী? [প্রশ্নকারী] আমরা যদি নির্বাচনে জিততে চাই, তবে সেখানেও ভাগ্য খুব গুরুত্বপূর্ণ। [সাধুগুরু] বিশ্বাস, Godশ্বর, নিয়তি বা প্রচেষ্টা সম্ভবত তাদের সকলের প্রয়োজন হয়। তবে কী অনুপাতে? আপনি যখন ভাগ্যের নাম রাখেন, এটি অবশ্যই আপনার নিয়ন্ত্রণে থাকে না। ভাগ্যের কথা বলার পরেও আপনি কিছু করতে পারবেন না। আপনি যখন aboutশ্বরের বিষয়ে কথা বলেন, আপনি তাঁকে সম্পর্কে কিছুই করতে পারবেন না। কেবল একটি প্রচেষ্টা আপনার হাতে রয়ে গেছে। সুতরাং আপনার প্রচেষ্টার উপর আপনার সম্পূর্ণ সৌর শতাংশ রাখুন, যা ঘটবে, তা হবে না? সুতরাং ভাগ্য, Godশ্বর বা বিশ্বাস ইত্যাদির নামে নিজের শক্তি এবং সামর্থ্যের কিছু অংশ ছেড়ে যাবেন না; এটি আপনার সমস্ত ব্যবসা নয়। যদি এমন কোনও জিনিস থাকে তবে এটি তার পথে কাজ করবে। আপনাকে আপনার ব্যবসাটি কাজ থেকে দূরে রাখতে হবে। সপ্তাহের দিন. আপনার প্রচেষ্টা কার্যকর হওয়া উচিত, অর্থাত এটি ফোকাস করা এবং পরিমাপ করা উচিত। শুধু চেষ্টা চালিয়ে যাওয়া বোকামি, তাই না? কঠোর পরিশ্রম আপনাকে কিছু পেতে যাচ্ছে না। যথাযথ কাজ, উপযুক্ত সময় এবং উপযুক্ত জায়গা; এই সমস্ত ব্যাপার, তাই না? সুতরাং এই সমস্ত জিনিস সম্পূর্ণ করতে আপনার বুঝতে এবং বুঝতে হবে। সুতরাং আপনার জীবনে আপনাকে যা করতে হবে তা হ'ল আপনার জীবনে আপনার উপলব্ধি এবং বুদ্ধি উন্নত করার জন্য নিয়মিত উপায় সন্ধান করছেন; অন্য সব কিছু এক উপায়ে বা অন্যভাবে ঘটবে। এটি মানবতার দিকে মনোযোগ দিচ্ছে না এমন একটি বিষয়। তারা কিছু হওয়ার ক্ষমতা অর্জন করার চেষ্টা করছে are আপনার কোনও বিশেষ ক্ষমতা অর্জনের চেষ্টা করা উচিত নয়, কেবল আপনার উপলব্ধি এবং বুদ্ধি বাড়ান। তারপরে জীবনে যা কিছু ঘটবে… এখন, ধরুন… আপনি জানেন, এটি সর্বদা পৃথিবীতে ঘটে থাকে। সবাই চিকিত্সক হতে চায়। আজকাল নয়, তবে এটি প্রায় 25 বছর আগে ব্যবহৃত হত। পড়াশোনার নামে কেবলমাত্র ডাক্তারের বিকল্প ছিল। যদি এর জন্য কোনও আসন না থাকে, তবে কী? প্রকৌশল. সেখানে সিট না থাকলে কী হবে? পরবর্তী বিকল্প, তারপরে পরবর্তী বিকল্প… আসুন আমরা বলে নিই যে আপনি একজন ডাক্তার হয়ে গেছেন এবং সমস্ত লোক যোগ প্রোগ্রামে যোগ দিয়েছেন এবং ডাক্তারের কাছে যাওয়া বন্ধ করেছেন stopped কমপক্ষে আপনার ডাক্তারের সাথে দেখা কমেছে, তাই না? হয়েছে? চিকিৎসকের কাছে যাওয়া কমেছে নাকি? হ্রাস পেয়েছে অবশ্যই। তাহলে ব্যবসা চলবে না। অর্থোপার্জন করা ভাল ব্যবসা হবে না, কারণ খুব কম সংখ্যক চিকিৎসকই আছেন যারা সত্যই ডাক্তার হতে চেয়েছিলেন। বাকী সবাই কি শুধু অর্থোপার্জনের জন্য ডাক্তার হয়ে যায়, তাই না? এটা কি তাই? বেশিরভাগ লোক চিকিত্সা পেশা গ্রহণ করছেন কারণ তারা মনে করেন যে অন্যের অসুস্থতা তাদের জন্য লাভজনক হতে পারে।
আমি এই জিনিসটির অন্যান্য দিকগুলি স্পর্শ করতে চাই না, তবে এটি আমাকে বিরক্ত করে। কিছু লোক সত্যিকার অর্থে একজন ডাক্তার হতে চায়, তারা মানব ব্যবস্থা বুঝতে চায় এবং সেদিকেই পরিষেবা করতে চায়, এটি খুব ভাল জিনিস। মনে করুন সবাই সুস্থ আছেন - আপনি কি এমনটি চান না, তাই না? হ্যাঁ আপনি এটি চান না। সাফল্যের জন্য কোনও নির্দিষ্ট রেসিপি নেই। সাফল্য তখনই হয় যখন আপনি নিজের মেধার পুরো ব্যবহার করতে সক্ষম হন। আপনি চিকিত্সক হন বা নেতা হন বা যোগী বা অন্য কিছু হন তা বিবেচ্য নয়। সাফল্যের অর্থ হল আপনি তার সম্পূর্ণ সম্ভাবনার সাথে জীবন যাপন করছেন, এটিই সাফল্য। যদি এটি ঘটে থাকে তবে আপনার উপলব্ধির সাথে একটি সক্রিয় বুদ্ধি প্রয়োজন। 'আমি কীভাবে আমার বুদ্ধি বাড়িয়ে দেব?' নিয়ে চিন্তা করবেন না? এই সময়ে, আপনাকে আপনার উপলব্ধি উন্নতি করতে হবে। আপনি যদি জীবনকে যেমন দেখতে দেখতে শিখে থাকেন তবে স্বয়ংক্রিয়ভাবে এটি পরিচালনা করার বুদ্ধি থাকবে। আপনি যদি জীবনকে এর আসল রূপে দেখতে না পান তবে আপনার বুদ্ধি আপনার বিরুদ্ধে কাজ করবে। এই গ্রহের বেশিরভাগ বুদ্ধিমান মানুষ সবচেয়ে অসন্তুষ্ট লোকদের মধ্যে রয়েছেন। এটি কারণ তাদের সক্রিয় বুদ্ধি আছে, কিন্তু তারা জীবন সঠিকভাবে দেখতে পারে না। সুতরাং, একটি জিনিস, একটি গুরুত্বপূর্ণ বিষয়, যার ভিত্তিতে লোকেরা কাজ করে নি, তা হল তাদের উপলব্ধি পরিমার্জন করা। তারা তাদের মনকে প্রসারিত করার চেষ্টা করছে, এতো কিছু যায় আসে না; তারা সামাজিকভাবে সফল হতে পারে তবে সত্যিকার অর্থে এগুলিকে সফল বলা যায় না। আপনি যদি সঠিক উপায়ে সফল হতে চান, তবে আপনাকে সবকিছু যেমন আছে তেমন দেখতে হবে, কোনও বিকৃতি ছাড়াই। আপনি যদি সবকিছুকে তার প্রকৃত আকারে দেখতে শিখেন তবে জীবন একটি গেম হয়ে উঠবে, তবে আপনি এটি পুরো উপভোগ এবং ভাল করে খেলতে সক্ষম হবেন। আপনি যদি এটি ভাল খেলতে পারেন তবে লোকে আপনাকে সফল জানবে। আপনার মনে করা উচিত নয়, 'আমি সফল হতে চাই' 'কখনও ভাববেন না,' আমি সফল হতে চাই '' আপনি কীভাবে নিজেকে একজন পূর্ণ বয়স্ক ব্যক্তি বানাতে পারেন তা কেবল দেখুন। একদিন লোকেরা বলবে, "তিনি একজন সফল মানুষ, তিনি খুব সফল ছিলেন।" আপনি যদি সাফল্যের পেছনে দৌড়েন তবে এই চিন্তাভাবনা আপনার জীবনকে দুঃখে ভরিয়ে দেবে। আপনি নিজের এবং অন্যের জন্য দুঃখ ও দুঃখের বীজ বুনবেন কারণ আপনার জন্য সাফল্যের অর্থ আপনি অন্য কারও মাথায় চড়ছেন, তাই না? এটা নাকি? আপনি অনুভব করেন যে যখন সবাই আপনার নীচে, এবং আপনি সর্বোপরি, তখন কেবলমাত্র আপনি নিজেকে সফল হিসাবে বিবেচনা করবেন। এটি সফলতা নয়, এটি একটি রোগ। সাফল্যের কথা কখনও ভাবেন না। নিজেকে দেখুন কীভাবে নিজেকে একজন সম্পূর্ণ মানব বানানো যায়; তাহলে আপনার অস্তিত্ব নিজেই আকার নিতে শুরু করবে। যদি এটির আকারটি ভাল হয়ে যায় তবে আপনার চারপাশের লোকেরা বলতেন, 'এই ব্যক্তিটি সঠিক উপায়ে সফল ছিলেন!' এটি ভাল জিনিস হবে। লোকেরা আপনার সাফল্য স্বীকৃতি দিন। সফল হওয়ার জন্য আমার কী করা দরকার তা নিয়ে আপনার চিন্তা করা উচিত নয়; আপনি যদি এটি করেন তবে এই উদ্যোগটি জীবনের পক্ষে ভাল হবে না।
Marathi:
[प्रश्नकर्ता] गुरुजी, जर आपल्याला आपल्या जीवनात यशस्वी व्हायचे असेल तर विश्वास, देव, प्रयत्न किंवा नशीब कोणाला महत्त्वाचे आहे? [सद्गुरु] की निवडणूक जिंकली? [प्रश्नकर्ता] जर आपल्याला निवडणूक जिंकण्याची इच्छा असेल तर तिथेही नशीब खूप महत्वाचे आहे. [सद्गुरु] विश्वास, देव, नशिब किंवा प्रयत्न कदाचित या सर्वांची आवश्यकता असेल. पण कोणत्या प्रमाणात? जेव्हा आपण नशिबाला नाव देता ते निश्चितपणे आपल्या नियंत्रणाखाली नसते. आपण नशिबाबद्दल बोललो तरीही आपण काहीही करू शकत नाही. जेव्हा आपण देवाबद्दल बोलता तेव्हा आपण त्याच्याबद्दल काहीही करू शकत नाही. फक्त एक प्रयत्न आपल्या हातात राहील. तर आपल्या प्रयत्नांवर संपूर्ण सौर टक्केवारी ठेवा, जे काही होईल ते होणार नाही? म्हणून आपल्या उर्जा आणि क्षमतेचा भाग भाग्य, देव किंवा विश्वास इत्यादींच्या नावावर सोडू नका. हा तुमचा सर्व व्यवसाय नाही. जर अशी काही गोष्ट असेल तर ती त्या मार्गाने कार्य करेल. आपल्याला आपला व्यवसाय कामापासून दूर ठेवावा लागेल. फक्त ते करा. आपले प्रयत्न प्रभावी असले पाहिजेत, म्हणजे ते केंद्रित आणि मोजले जावे. फक्त प्रयत्न करणे मूर्खपणाचे आहे ना? कठोर परिश्रम आपल्याला काही मिळवणार नाहीत. योग्य कार्य, योग्य वेळ आणि योग्य जागा; हे सर्व काही आहे, नाही का? तर या सर्व गोष्टी पूर्ण करण्यासाठी आपल्याला समजून घेणे आवश्यक आहे. म्हणून आपल्या आयुष्यात आपल्याला जे काही करायचे आहे ते आपल्या जीवनात आपली समज आणि बुद्धिमत्ता सुधारण्यासाठी सतत शोधत आहे; बाकी सर्व काही एका मार्गाने होईल. ही एक गोष्ट आहे ज्याकडे मानवता लक्ष देत नाही. ते काहीतरी बनण्याची क्षमता मिळवण्याचा प्रयत्न करीत आहेत. आपण कोणतीही विशेष क्षमता मिळवण्याचा प्रयत्न करू नये, फक्त आपली समज आणि बुद्धिमत्ता वाढवा. मग आयुष्यात जे काही घडेल तेच… आता समजा… तुम्हाला कळेलच, जगात नेहमीच असे घडते. प्रत्येकाला डॉक्टर बनण्याची इच्छा असते. आजकाल नाही तर साधारण 25 वर्षांपूर्वी असायचा. अभ्यासाच्या नावाखाली फक्त डॉक्टरांचा पर्याय उपलब्ध होता. त्यासाठी जागा नसल्यास काय? अभियांत्रिकी. तिथे आसन नसल्यास काय? पुढचा पर्याय, मग पुढचा पर्याय… असे सांगा की आपण डॉक्टर झाला आहात आणि सर्व लोक योग कार्यक्रमात सामील झाले आहेत आणि डॉक्टरकडे जाणे थांबवले आहेत. कमीतकमी तुमची डॉक्टरकडे जाणारी भेट कमी झाली आहे, नाही का? झाले आहे? डॉक्टरकडे जाणे कमी झाले आहे की नाही? निश्चितच कमी झाली आहे. मग व्यवसाय चालणार नाही. पैसे कमविणे चांगले व्यवसाय ठरणार नाही, कारण असे डॉक्टर आहेत ज्यांना खरोखरच डॉक्टर बनण्याची इच्छा होती. बाकीचे फक्त पैसे कमावण्यासाठी डॉक्टर बनले, बरोबर? असं आहे का? बरेच लोक वैद्यकीय व्यवसाय स्वीकारत आहेत कारण त्यांना वाटते की दुसर्याचा आजार त्यांच्यासाठी फायदेशीर ठरू शकतो.
मला या गोष्टीच्या इतर पैलूंवर स्पर्श करायचा नाही, परंतु यामुळे मला त्रास होतो. काही लोकांना खर्या अर्थाने डॉक्टर बनायचे आहे, त्यांना मानवी प्रणाली समजून घ्यायची आहे आणि त्या दिशेने सेवा करण्याची इच्छा आहे, ही खूप चांगली गोष्ट आहे. समजा प्रत्येकजण निरोगी आहे - तुम्हाला असे नको असेल, बरोबर? होय आपण असे होऊ इच्छित नाही. यशासाठी कोणतीही निश्चित कृती नाही. यश केवळ तेव्हाच असते जेव्हा आपण आपल्या प्रतिभेचा पूर्ण वापर करू शकाल. आपण डॉक्टर किंवा नेते किंवा योगी किंवा इतर काही असलात तरी फरक पडत नाही. यश म्हणजे आपण त्याच्या संपूर्ण क्षमतेनुसार जीवन जगत आहात, तेच यश आहे. जर हे घडले असेल तर आपल्याला अनुभूतीसह सक्रिय बुद्धीची आवश्यकता असेल. 'मी माझी बुद्धिमत्ता कशी वाढवू?' याबद्दल काळजी करू नका. यावेळी, आपल्याला आपली समज सुधारित करावी लागेल. जर आपण आयुष्य जसे आहे तसे पहाणे शिकले असेल, तर आपोआपच ते ऑपरेट करण्याची बुद्धिमत्ता आपल्याकडे असेल. जर आपण आयुष्याला त्याच्या वास्तविक रूपात पाहू शकत नाही तर आपली बुद्धी आपल्या विरूद्ध कार्य करेल. या ग्रहावरील बहुतेक हुशार लोक सर्वात दुःखी लोकांपैकी आहेत. हे असे आहे की त्यांच्याकडे सक्रिय बुद्धिमत्ता आहे, परंतु त्यांचे जीवन योग्यप्रकारे पाहू शकत नाही. तर, एक गोष्ट, एक महत्वाची गोष्ट, ज्यावर लोक कार्य करीत नाहीत, म्हणजे त्यांची समज परिष्कृत करणे. ते त्यांचे विचार विस्तृत करण्याचा प्रयत्न करीत आहेत, इतके फरक पडत नाही; ते सामाजिकदृष्ट्या यशस्वी असतील परंतु त्यांना खर्या अर्थाने यशस्वी म्हणता येणार नाही. जर आपल्याला योग्य मार्गाने यशस्वी व्हायचे असेल तर आपल्याला सर्वकाही जसे आहे तसे पहावे लागेल, कोणत्याही विकृतीशिवाय. जर आपण सर्व काही त्याच्या वास्तविक स्वरुपात पहायला शिकले तर जीवन एक खेळ होईल, तर आपण त्यास संपूर्ण आनंद आणि चांगल्या खेळासह सक्षम करू शकाल. आपण हे चांगले खेळू शकल्यास, लोक आपल्याला यशस्वी समजतील. तुम्ही असा विचार करू नका, 'मला यशस्वी व्हायचं आहे.' असं कधीही विचार करू नका, 'मला यशस्वी व्हायचं आहे.' तुम्ही स्वतःला एक प्रौढ व्यक्ती कसा बनवू शकता ते पहा. एक दिवस लोक म्हणतील, "तो एक यशस्वी माणूस आहे, तो खूप यशस्वी झाला होता." जर तुम्ही यशाच्या मागे धावलात तर ही विचारसरणी तुमचे आयुष्य दु: खाने भरेल. आपण स्वत: साठी आणि इतरांसाठी दु: खाचे बीज पेरता कारण आपल्यासाठी यशाचा अर्थ असा आहे की आपण दुसर्याच्या डोक्यावर चालत आहात, बरोबर? आहे की नाही? आपणास असे वाटते की जेव्हा प्रत्येकजण आपल्या खाली असतो आणि आपण सर्वापेक्षा श्रेष्ठ असता तरच आपण स्वत: ला यशस्वी समजता. हे यश नाही, हा एक आजार आहे. यशाचा कधीही विचार करू नका. स्वत: ला संपूर्ण माणूस कसे बनवायचे ते पहा; मग आपले अस्तित्व स्वतःच आकार घेण्यास सुरवात करेल. जर त्याचा आकार चांगला झाला तर आपल्या आजूबाजूचे लोक म्हणायचे, 'ही व्यक्ती योग्य मार्गाने यशस्वी झाली!' ही चांगली गोष्ट असेल. लोकांना आपले यश ओळखू द्या. यशस्वी होण्यासाठी मला काय करावे लागेल याबद्दल आपण विचार करू नये; जर आपण हे केले तर हा उपक्रम आयुष्यासाठी उपयुक्त ठरणार नाही.
THANK YOU!
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